नयनों में बसी तेरी सूरत कुछ और मोहे नहीं भावत है |
मैं हूँ राधा तुम श्याम मेरे मन लिख लिख कर यही गावत है |
हे कृष्ण कन्हैया मुरलीधर तेरी बंशी मोहे बुलावत है,
यह जनम जनम का नाता है सुर छेड़ी मोहे जतलावत है |
©किरण सिंह
मैं हूँ राधा तुम श्याम मेरे मन लिख लिख कर यही गावत है |
हे कृष्ण कन्हैया मुरलीधर तेरी बंशी मोहे बुलावत है,
यह जनम जनम का नाता है सुर छेड़ी मोहे जतलावत है |
©किरण सिंह