श्रद्धेय कवयित्री
सादर चरण स्पर्श !
मैं कुशल हूँ I आशा करता हूँ आप भी सपरिवार सकुशल होंगी I आज मुझे आपके द्वारा सस्नेह भेंट स्वरुप भेजा गया आपकी दूसरी काव्य संग्रह की प्रति मेरे अभिभावक तुल्य परम आदरणीय उप महाप्रबंधक महोदय के द्वारा प्राप्त हुई I काव्य संग्रह का शीर्षक पढ़कर मुझे भी पाती के रूप में अपनी भावनाओं को लिखने की इच्छा हुई I मै विज्ञान का छात्र हूँ अतः ऐसे गंभीर विषय प्रेम के सम्बन्ध में लिखने पर अज्ञात भय भी है कि कहीं शब्दों के चयन में कोई भूल न हो जाय I कहीं प्रेम की लौकिक व्याख्या में भूल न हो जाए I मेरे द्वारा किसी पुस्तक के विषय में पहली समीक्षा है अतः अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ I आपके जीवन में सुख, सौभाग्य, समृधि तथा शांति की अमृत वर्षा हो I आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना I दोनों पुत्रों को भी उज्जवल भविष्य की कामना,वे सार्वजनिक जीवन के उच्च शिखर को प्राप्त करें I
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घर में सभी बड़ों को मेरा प्रणाम और छोटों को शुभ आशीर्वाद I
आपका अनुज
(राजेश कुमार पाण्डेय )
महान कवयित्री श्रीमति किरण सिंह की दूसरी काव्य रचना प्रीत की पाती जैसे हीं सस्नेह भेंट स्वरुप प्राप्त हुई कार्यालय से आने के तुरंत बाद पढ़ने लगा I सुंदर आकर्षक आवरण तथा काव्य संग्रह का शीर्षक पढ़ने की उत्कट इच्छा पैदा करती है I विज्ञान का छात्र होने के कारण कहीं – कहीं कविताओं का भाव समझने में कठिनाई भी हुई I कवयित्री की कविता मेरे जैसे संवेदनशील तथा भावुक पाठक को कॉलेज के दिनों में भी ले गयी Iकवयित्री ने इस समाज को देने के लिए स्वस्थ और स्वतंत्र राह खोजी है I आपने हर चुनौती को अवसर में बदला है तथा अपने अन्तःकरण की सच्चाई से एक मिशाल बनकर उभरी हैं I
भाषा बड़ी हीं चुटीली , साफ –सुथरी और भावानुकूल हैं I मुझे प्रतीत होता है कि जीवन में प्रेम और कविता की लहरें एक साथ आती हैं I कुछ सौभाग्शाली उन्हें गिरफ्तार कर लेते हैं I मानव जीवन में कविता और प्रेम पर्यायवाची हैं I काव्य संग्रह के प्रारंभ में हीं अपने पति को समर्पित कवितायेँ
साँसों की सरगम तुम ही,
ह्रदय झंकृत संगीत हो I
उपर्युक्त पंक्तियाँ कवयित्री के प्रेम की पराकाष्ठा ,समर्पण एवम सुसंस्कृत उच्च आदर्शों को दर्शाती है I
सास्वत सनातन प्रेम की अद्भूत सजीव चित्रण प्रस्तुत करती, त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति तथा भारतीय वैदिक समाज में वैवाहिक संबंधों की सफल, सहज और सार्थक व्याख्या भी इन पंक्तियों में परिलक्षित होती है –
पूर्ण हो जाये आराधना आपकी,
बाती सी मैं दीपक की जलती रही I
कविताओं में कई जगह आंचलिक बोली के शब्द कविताओं को और भी रोचक बनाते हैं I अनेक कविताओं में ममत्व और स्नेह की झलक भी देखी जा सकती है I
मैं तो बाती हूँ मुझे स्वीकार है जलना
जलाओ प्रेम का दिया , बुझने नहीं दूँगी
इन पंक्तियों को पढ़कर मुझे यही समझ में आया कि प्रेम जीवन है, प्रेम सर्वस्व है, प्रेम निराकार है, प्रेम सास्वत सनातन है, प्रेम मुखरित संवेदनाएँ की ही परिणति है, प्रेम ही जीवन का आधार है , प्रेम ही जीवन का सार्थक उद्देश्य है तथा प्रेम ही मानव जीवन की सार्थकता है I
यदि साहित्य समाज का दर्पण है तो कवितायेँ भी किसी बिम्ब का हीं प्रतिबिम्ब है I कवयित्री की शब्दों में इशारे हैं ,संकेत हैं, और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी है I
कवयित्री की कुछ रचनाओं के साथ ऐसा हो सकता है कि वे विशेष निजी पलों में रचित हो जिसकी पूरी जानकारी कवयित्री को हीं हो I ऐसा भी हो सकता है कि मुझ जैसे अबोध पाठक की समझ से परे हो I
बूँद स्वाति की भावना , हृदय सीप है मीत I
प्रेम रत्न मोती सदृश , बना काल नवनीत I I
प्रेम रस से सनी हुई कविताओं में एक स्वाभाविक प्रवाह, लय तथा गेय भी हैं I प्रेम में पूर्ण समर्पण एक ओर जहाँ आकर्षक रूप में विचार –पक्ष को उभारती है , वही पठनीयता का पक्ष भी समृद्ध रूप में सामने आता है I मेरा ऐसा मानना है कि कवयित्री की रचनाएँ एक जागरण है I कविताओं में प्रेम की पराकाष्ठ तथा पूर्ण समर्पण है तो दूसरी तरफ यथार्थ जीवन की सजगता भी है I गीत – गीतिका –मुक्तक –संग्रह प्रीत की पाती पठनीय तथा संग्रहणीय भी है I
राजेश कुमार पांडेय
Executive er S B P D C L