मैं तो पहनूंगी चूनर लाल
उड़ाऊँगी गुलाल रे सखी
नयनो में कर काले काजल
और पाँव में लाल महावर
काले रंग से रंगूगी मैं तो बाल
उड़ाउंगी गुलाल रे सखी
चुन चुन कर मैं बदला लूंगी
पक्के रंग से नहला दूंगी
अब किसी की गलेगी नहीं दाल
उड़ाऊँगी गुलाल…………..
रंग चटक और पक्का लग गया
छूटे कैसे तन मन रंग गया
अपना दे दो सजन जी रुमाल
उड़ाऊँगी गुलाल…………..
छम छम छम छम पायल छनके
खन खन खन खन कंगना खनके
दिल धड़क कर किया है बुरा हाल
उड़ाऊँगी गुलाल…………….
रंग रंग के गीत लिखूंगी
उसमें भर – भर प्रीत लिखूंगी
कर दूंगी कलम से धमाल
उड़ाऊँगी गुलाल………………
अति सुंदर उल्लेख, रंग बिरंगी कविता।
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बहुत धन्यवाद
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गुलाल तो सबके नाम से आप उड़ा रही आजकल फेसबुक पर…होली का धमाल ही धमाल मचा रखा आपने…जोगीरा…..😊😊😊
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बहुत सुदर जी ,
मरहम बना कर उड़ाते जायेंगे, ये दर्द भी देखना खुशी के गुदर्द के रंगलाल हो ही जायेगे, ह्ह्ह्ह
बेहतरीन जी
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आभार….. बहुत बढ़िया
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बेहद खूबसूरत
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तहे दिल से शुक्रिया मधुलिका….. स्वागत है!
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