बह न जाये कजरा कारे ,
इन नयनों की कोर से |।
पोछती हूँ बार – बार ,
आँसू अचरा की छोर से |
चूड़ी कंगन पायल बिछुआ,
खनक – झनक कुछ बोल रहे |
घबरा जाती हूँ मैं अपनी ,
धड़कनों की शोर से ||
बह न जाये कजरा कारे ,
इन नयनों की कोर से |।
पोछती हूँ बार – बार ,
आँसू अचरा की छोर से |
चूड़ी कंगन पायल बिछुआ,
खनक – झनक कुछ बोल रहे |
घबरा जाती हूँ मैं अपनी ,
धड़कनों की शोर से ||