मेरे उजड़े चमन में बहार आ गई ,
कविताएँ मेरे संग इतरा गई |
सोचा भी न था कि वे मिलेंगे कभी,
देखकर उनको मैं थोड़ा घबरा गई |
धड़कने मेरे दिल की धड़कने लगीं,
झुकीं पलकें मेरी और मैं शरमा गई |
छू लिये वे मुझे मैं सिहर सी गई,
मीठी बातें मुझे उनकी बहला गईं |
कर दिया मैंने खुद को समर्पित उन्हें,
बरसी खुशियाँ मुझको नहला गई |
वाह! वाह! विचारो का सुंदर मानवीकरण।
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बहुत बहुत धन्यवाद आपको
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बहुत सुन्दर रचना
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बहुत धन्यवाद वंदना जी 😊
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वाह बहुत खूबसूरत
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बहुत शुक्रिया
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