कविता स्त्रीलिंग
और प्रेम पुलिंग
होती है भावाभिव्यक्ति
बनती है प्रेम कविता
सुन्दर
कुछ कविता प्रेम में
करती है मनुहार
कुछ घबराई कुछ सकुचाई
कुछ सहमी सी
मधुर सुकोमल
रिश्तों के ताने बाने
बूनती हुई सी
जरूर यह
कविता प्रेम है
स्त्रिलिंग
तो दूसरी उन्मुक्त बेवाक
निश्चिंत, मस्त, स्वछंद
कुछ उच्छृंखल भी
मगर खूबसूरत
आकर्षक
शायद यह प्रेम कविता है
पुलिंग
वाहःहःहः बहुत सुन्दर
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धन्यवाद ममता जी
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बहुत सुंदर व्याख्या की आपने … बधाई किरण जी
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धन्यवाद वंदना जी
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