थामकर हाथ तुम मेरे,
ज़रा होलो तो कुछ लिखूँ |
समझ आता नहीं कब क्या ,
तुम्ही बोलो तो कुछ लिखूँ |
तुम्हारे आँखों में मेरे भी
कुछ पलने लगे हैं स्वप्न ,
बैठकर सामने मेरे ,
कभी खोलो तो कुछ लिखूँ ||
थामकर हाथ तुम मेरे,
ज़रा होलो तो कुछ लिखूँ |
समझ आता नहीं कब क्या ,
तुम्ही बोलो तो कुछ लिखूँ |
तुम्हारे आँखों में मेरे भी
कुछ पलने लगे हैं स्वप्न ,
बैठकर सामने मेरे ,
कभी खोलो तो कुछ लिखूँ ||