इतिहास के पन्नों पर शायद ,
अंकित चित्र सुनहरा होगा |
सोंच रहा है नारी मन कल
पूर्ण स्वप्न हमारा होगा |
<!–more–>
कल्पना में विचर रही थी
तभी लगा कह रहा है कोई ,
लहूलुहान कदमों से अंकित
पथ पदचिन्ह तुम्हारा होगा ||
इतिहास के पन्नों पर शायद ,
अंकित चित्र सुनहरा होगा |
सोंच रहा है नारी मन कल
पूर्ण स्वप्न हमारा होगा |
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कल्पना में विचर रही थी
तभी लगा कह रहा है कोई ,
लहूलुहान कदमों से अंकित
पथ पदचिन्ह तुम्हारा होगा ||