जिस प्रकार महिलाएँ किसी की बेटी बहन पत्नी तथा माँ हैं उसी प्रकार पुरुष भी किसी के बेटे भाई पति तथा पिता हैं इसलिए यह कहना न्यायसंगत नहीं होगा कि महिलायें सही हैं और पुरुष गलत ! पूरी सृष्टि ही पुरुष तथा प्रकृति के समान योग से चलती है इसलिए दोनों की सहभागिता को देखते हुए दोनों ही अपने आप में विशेष हैं तथा सम्मान के हकदार हैं!
महिलाएँ आधुनिक हों या रुढ़िवादी हरेक की कुछ अपनी पसंद नापसंद, रुचि अभिरुचि बंदिशें, दायरे तथा स्वयं से किये गये कुछ वादे होते हैं इसलिए वे अपने खुद के बनाये गये दायरे में ही खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं !
उन्हें हमेशा ही यह भय सताते रहता है कि लक्ष्मण रेखा लांघने पर कोई रावण उन्हें हर न ले जाये ! वैसे तो ये रेखाएँ समाज तथा परिवार के द्वारा ही खींची गईं होती हैं किन्तु अधिकांश महिलाएँ इन रेखाओं के अन्दर रहने की आदी हो जातीं हैं इसलिए आजादी मिलने के बावजूद भी वे अपने लिये स्वयं रेखाएं खींच लेतीं हैं… ऐसे में इन रेखाओं को जो भी उनकी इच्छा के विरुद्ध लांघने की कोशिश करता है तो वह शख्स शक के घेरे में तो आ ही जाता है भले ही कितना भी संस्कारी तथा सुसंस्कृत क्यों न हो इसलिए यदि कोई महिला अपने आप में सिमटकर रहना चाहती है तो उसके इस व्यवहार से पुरुषों को आहत नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें सम्मान देना चाहिए क्योंकि वे भी तो अपने घर की महिलाओं से ऐसी ही अपेक्षा रखते हैं!
यह मनुष्य का स्वभाव ही है कि वह अपनी प्रशंसा से खुश और आलोचना से दुखी हो जाता है इसलिए जब पुरुष और स्त्री में आपसी मैत्रीपूर्ण व्यवहार हो तो एकदूसरे की प्रशंसा लाजमी है ! यह भी सही है कि प्रशंसा के मामले में स्त्रियों की तुलना में पुरुष कुछ ज्यादा ही उदार होते हैं यह अच्छी बात है किन्तु प्रशंसा भी मर्यादा में रहकर सम्मानजनक रूप में ही की जानी चाहिए वर्ना लेने के देने पड़ जायेंगे ! पुरुष हो या स्त्री दूसरे को मान देने से पहले उन्हें अपने स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि सम्मानित व्यक्तियों के द्वारा दिया गया मान अधिक सम्मानजनक होता है या यूँ भी कहा जा सकता है कि जो स्वयं को मान नहीं दे पाये वो औरों को क्या सम्मान देगा!
यह बात आभासी जगत में भी लागू होता है जहाँ महिलाओं को अभिव्यक्ति की आजादी मिली है ! यहाँ किसी का हस्तक्षेप नहीं है फिर भी अधिकांश महिलाओं ने अपना दायरा स्वयं तय कर लिया है.! जहाँ तक अपने बारे में जानकारी देना सही समझती हैं वे अपने प्रोफाइल, पोस्ट तथा तस्वीरों के माध्यम से दे ही देतीं हैं! और दायरों के अन्दर कमेंट के रिप्लाई में कुछ जवाब दे ही देतीं हैं इसीलिये बिना विशेष घनिष्टता या बिना किसी विशेष जरूरी बातों के मैसेज नहीं करना चाहिए और यदि कर भी दिये तो रिप्लाई नहीं मिलने पर यह समझ जाना चाहिए कि अमुक व्यक्ति को व्यक्तिगत तौर पर बातें करने में रुचि नहीं है या फिर उसके पास समय नहीं है या कुछ और विवशता है इसलिए दुबारा मैसेज नहीं भेजना चाहिए !
इसके अलावा कमेंट तथा रिप्लाई भी दायरों में रह कर ही सम्मानजनक रूप में करना चाहिए ! जिससे पुरुषों के भी स्वाभिमान की रक्षा हो सके तथा वे भी अपने हिस्से का सम्मान प्राप्त कर सकें!
हर किसी की एक सीमा रेखा होती है और दूसरों को उसका सम्मान करना ही चाहिए …बहुत सार्थक पोस्ट
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बहुत बहुत धन्यवाद वंदना जी
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किसी भी चीज की अति बुरी होती है ।जिन महिलाओं ने अपनी सीमा रेखा तय कर ली है वे सम्मान नीय हैं ।बस अपनी नजर में नहीं गिरना चाहिए ।
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जी…. हार्दिक आभार
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Good night
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