कर लिया मैंने सोलह श्रृंगार
आजा पिया बन के बहार |
होकर बैठी हूँ मैं तैयार
आजा पिया……………..
दिन में चैन गया रात नींद गई
प्रश्न करे अँखियाँ मुझसे कई
और कितना करूँ इन्तज़ार
आजा पिया…………………
हिय की पीर आँसू बन छलके
डर मोहे लागे हल्के- हल्के
बह न जाये कजरवा की धार
आजा पिया…………………
रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे
मन मेरा एक बूंद को तरसे
बरसाओ ज़रा मुझपर प्यार
आजा पिया………………….
जो लिखे हो गीत ले आना
सूद समेत प्रिय प्रीत ले आना
तुझ पर बाकी है मेरा उधार
आजा पिया……………………
अनुपम भाव प्रस्तुत किया…बहुत सुन्दर
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बहुत धन्यवाद ममता जी!
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बहुत सुन्दर
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बहुत शुक्रिया
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धन्यवाद वंदना जी
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अनुपम है।पिया की प्रतीक्षा एक नई नवेली कैसे करती है, का अपूर्व चित्रण
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