कहूँ कैसे सखी तुमसे ,
कहूँ तो लाज लागे है |
बलम क्यों हो गये बैरी,
मुझे कुछ राज लागे हैं |
नया करते बहाना हर घड़ी.,
हर पल बहुत मुझसे |
नये उनके अलग मुझको ,
कई अंदाज लागे हैं ||
कहूँ कैसे सखी तुमसे ,
कहूँ तो लाज लागे है |
बलम क्यों हो गये बैरी,
मुझे कुछ राज लागे हैं |
नया करते बहाना हर घड़ी.,
हर पल बहुत मुझसे |
नये उनके अलग मुझको ,
कई अंदाज लागे हैं ||