एक शहर में सावन बरसे दूसरे में है तपन
किस शहर में मैं रहूँ उलझन में है मन
एक शहर में कामना तो दूसरे में है समर्पण
एक शहर में ज्योति है तो दूसरे में जीवन
विवश हो बढ़ चले कदम एक शहर की ओर
शहर दूसरा खींचता है मेरे मन की डोर
एक शहर में है मुझे ज्योति अभी जलाना
दूसरे शहर में है निज जिंदगी सजाना
सोच रही थी रात भर कैसे करूँ अंजोर
तभी अचानक खिली किरण और हो गई भोर
Very nyc lines ❤
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thanks
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति