मैंने की है खता तो सजा दीजिए
जिस्म से जान पर न जुदा कीजिये
प्यार करती हूँ मैं भी बहुत आप से
प्यार की जीत हो ये दुआ कीजिए
छोटी सी है बहुत ये सनम जिंदगी
गिले शिकवे सभी अब भुला दीजिए
दिल दुखे आपका मैंने चाहा न था
फिर भी दुख ही गया तो क्षमा कीजिए
मर्ज है इश्क ये सच कहा है कोई
वैद्य हैं आप ही अब दवा कीजिये
कर सकेगी हमें मौत भी न जुदा
मौत तक ये ख़बर पहुँचा दीजिए
कर्ज मेरा भी है इश्क का आप पर
किस्तों में ही सही पर अदा कीजिए
लायेगी फिर किरण हर खुशी आपकी
अपनी खुशियों का मुझको पता दीजिये
ओहो क्या खूब
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद ममता जी 😊
पसंद करेंपसंद करें
Lovely poem 👌👌👌
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Welcome ji 🙏🙏
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Karz h mera…………..Ada kijiye 👌👌
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें
Kya baat
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
शुक्रिया
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद 😊
पसंद करेंपसंद करें