सदियों से ही नर यहाँ , बुनते आये जाल |
स्त्री ही स्त्री की शत्रु हैं . कहकर चलते चाल |
कहकर चलते चाल, जरा तुम समझो इसको |
डाल रखे हैं फूट , दोष बोलो दूँ किसको |
कहे किरण हे नार , करो कुछ विषय समझ के |
धो दो सभी कलंक , लगा है जो सदियों से |
सदियों से ही नर यहाँ , बुनते आये जाल |
स्त्री ही स्त्री की शत्रु हैं . कहकर चलते चाल |
कहकर चलते चाल, जरा तुम समझो इसको |
डाल रखे हैं फूट , दोष बोलो दूँ किसको |
कहे किरण हे नार , करो कुछ विषय समझ के |
धो दो सभी कलंक , लगा है जो सदियों से |
बहुत सुन्दर रचना … सच में सभी महिलाओं को एक दूसरे का साथ देकर इस वाक्य का विरोध करना चाहिए
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धन्यवाद वंदना जी
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