सावन की आई बहार
मैं कजरी गाऊँगी
राखी का आया त्योहार
मैं राखी बांधूगी
डोर रेशमी मोल मंगाई
ज्योति जलाकर थाल सजाई
अक्षत रोली चंदन लेकर
शुभाशीष भाई को देकर
जोड़ हृदय के तार
मैं राखी बांधूगी
सावन की……………
युग युग जीयो मेरे भाई
सुखी रहे सदा भौजाई
फले फूले तेरा घर अँगना
गोद में झूले प्यारा लालना
मेरा मायका रहे गुलजार
मैं राखी बांधूगी
सावन की ……….
काली – काली बदरिया छाई
लाओ भइया अपनी कलाई
रक्षा का यह है बन्धन
रीति रस्म का कर अभिनन्दन
दे दो मुझे उपहार
मैं राखी बांधूगी
सावन की……………
बेहतरीन कविता।मैं कजरी गाऊँगी।
भाई और बहन का पर्व रक्षाबन्धन की ढेर सारी शुभकामनाएं।
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हार्दिक आभार….. आपको भी
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वाह वाह वाह।
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धन्यवाद
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