मैया पनघट पर मैं नहीं जाऊँगी ,
तेरो लल्ला बड़ा छलिया है
बंशी बजाई के मोहे बुलावे
मधुर मधुर वह राग सुनावे
खो जाऊँ मैं बंशी की धुन सुन
दिन में ही सुन्दर सपने बुन
भूली अगर मैं पनिया भरन
तो मैं क्या – क्या बहाना बनाऊँगी
तेरो लल्ला बड़ा…………….
याद न आये घर और अँगना
नाचूँ जो धुन पर बाजे कंगना
पायलिया भी रून झुन बाजे
मधुर मधुर सुन्दर सुर साजे
काम धंधा में जिया नहीं लागे
मैं किस किस को क्या बतलाऊंगी
तेरो लल्ला बड़ा……………..
मन मेरा वे चुराय लियो है
अपना जादू चलाय दियो है
जित देखूँ उत दिखते साँवरिया
नहीं सूझे मोहे मोरी डगरिया
सुध बुध अपना भी भूली मैं
ऐसे कैसे मैं तब घर जाऊँगी
तेरो लल्ला बड़ा………………
बहोत सुंदर रचना है मैम 🙂
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Awesome
https://theperfectplaner.wordpress.com/2019/04/30/kya-sabra-thi-us-khat-ke-zamane-mai/
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