आज सोलह श्रृंगार कर लूंगी
मैं सितारों से माँग भर लूंगी
टूट कर तारे ज्यों ही गिरेंगे
आँचल में मैं उन्हें भर लूंगी
चुरा लूंगी मैं रंग फूलों से
लाल मैं भी अधर कर लूंगी
लगीं आँखें अगर सूनी – सूनी
कजरा मैं नयन कर लूंगी
गीत गाने लगीं आज बिछुआ
बोले पायल नर्तन कर लूंगी
चाँद जल्दी गगन में उग आना
अर्घ्य दूंगी सुहाग वर लूंगी
बहुत खूबसूरत
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