अभी-अभी आए हो प्रियतम
अभी जाने की बात कर गए
तुम क्यों इतने निष्ठुर हो गए.?
बात हमारी अभी अधूरी
ज़रा रुको तो कर लूँ पूरी
कुछ तुम अपनी कहो
कुछ मेरी समझो मजबूरी
प्रेम बीज जो बोया तुमने
वह अंकुरित हो बड़े हो गए
तुम क्यों इतने…………………?
रुको रुको हे वर्ष अभी
छोड़ न जाना हमें कभी
करतीं हैं कर जोड़ प्रार्थना
देखो जड़ चेतन सभी
ओस रूप में अश्रु छलक कर
मन के सारे मैल धो गये
तुम क्यों इतने……………..?
सुनो प्रिये मेरी मजबूरी
जाना भी है बहुत जरूरी
यही पुरानी रीति जगत की
करो न पगली बलजोरी
नव वर्ष के स्वागत में देखो
सज – धज सब तैयार हो गए
तुम क्यों इतने………………..?
बहुत ही खूबसूरत ।।।लयबद्ध कविता।👌👌
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kita sundaar. Bahut accha lagaa. Dhayavaad. Naye varsh ki shubkaamnaayen. 🙂
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बहुत बहुत धन्यवाद….. आपको भी नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ 💐💐
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