स्वछंदता ले रही थी
लज्जा का
साक्षत्कार
सिमटी, सकुचाई सी लज्जा
नयन झुकाये
धीरे से अपने दोनो हाथ जोड़कर बोली
नमस्ते
स्वछंदता अपना हाथ बढ़ाते हुए बोली
हाथ मिलाओ
ये नमस्ते, वमस्ते नहीं चलेगा यहाँ
और ये नज़रें जमीन के अन्दर
क्यों गड़ाये हुए हो
मेरी आँखों से आँखें मिलाकर बात करो
और अपना परिचय दो
लज्जा थोड़ा सहमते हुए
जी
मैं स्त्रियों की सबसे खूबसूरत
आभूषण हूँ
स्वछंदता अट्हास करते हुए
अरे तुम किस जमाने की बात कर रही हो
तुम्हें पता नहीं है
आजकल ये आउटडेटेड हो गये हैं
ये ओल्ड फैशन
यहाँ नहीं चलेगा
तुम जा सकती हो
तुम्हारा स्थान
घर के अंदर है
लज्जा आँखों में आँसू भरे
वापस लौट आई
अपने घर के अन्दर