बहुत करती हूँ मैं तुमसे प्यार,
सुनो सच कहती हूँ मैं |
लो मैं करती हूँ सच स्वीकार,
कि तुमपर ही मरती हूँ मैं |
उर में मेरे तुम ही बसे हो,
आँखों में भी तुम ही सजे हो |
प्रिय तुमसे ही है श्रृंगार,
तभी तो संवरती हूँ मैं
तुम ही मेरे गीत हो साजन ,
जनम जनम के मीत हो साजन |
तुम तक ही मेरा है संसार,
कि तुममें ही ढलती हूँ मैं |
जब से प्रिय तुम रुठ गये हो,
नींद चैन सब लूट गये हो |
बोलो कैसे करूँ मनुहार ,
पाँव तेरा पकड़ती हूँ मैं |
तुम पर वार गई मैं सजना ,
मानो अब तुम मेरा कहना |
देखो जाऊँ न मैं थक हार,
कभी-कभी डरती हूँ मैं |
bahut sundar. ananda aa gaya padke. dhanyavaad. 😊
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Bahut khoob
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बहुत अच्छी पंक्तियां लिखी हैं 👌👌👌
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