सूरज से कुछ लाली लेकर
सावन से हरियाली
ऋतु बसंत से लिये बसंती
रंगीली मतवाली
होली आई रे
नीन गगन से रंग ले नीला
चाँद सितारों से चमकीला
हिमगिरि से चम चम उज्वल
गंगा से लेकर जल
होली आई रे
पुरवाई भी महकी – महकी
बहे ज़रा सी बहकी बहकी
ज्यों पी ली हो भंग
लगाने रंग
होली आई रे
पीयरी पहन फसल सरसो की
ज्यों ब्याहन को आई
कुहु – कुहु करके कोयलिया
गीत शगुन के गाई
होली आई रे
कानो में गेहूँ का झुमका
लगा रहीं मस्ती में ठुमका
लेतीं हैं हिय जीत
सुनो मनमीत
होली आई रे