आदर्श बाबू और होशियार बाबू दोनो में ही वैचारिक भिन्नता होते हुए भी अच्छे मित्र थे। हाँ एक समानता थी दोनों में कि दोनों दोनों ही साहित्यकार थे।
जहाँ आदर्श बाबू हमेशा अपना आदर्श बघारते रहते थे और अपने आदर्श के साथ लेखन में लगे रहे। वहीं होशियार बाबू स्थिति परिस्थिति देखते हुए सामन्जस्य बिठाकर जहाँ तहाँ अपना जुगाड़ बैठा ही लेते थे। फलस्वरूप होशियार बाबू के ड्राइंगरूम की आलमारियाँ सम्मानों से सजने लगीं और आदर्श बाबू अपने उत्कृष्ट लेखन में तल्लीन रहते।
चूंकि दोनों ही मित्र थे तो अक्सर ही साहित्यक कार्यक्रमों में साथ ही निकलना होता था । आदर्श बाबू अपने आदर्श के साथ मगन किसी कुर्सी को पकड़ लेते और होशियार बाबू सबसे मिलते – जुलते हुए सबका हाल समाचार लेते हुए किसी न किसी बहाने से मंच के इर्द – गिर्द ही रहते जिससे अखबारों में उनका चेहरा दिग्गजों के साथ आ ही जाता था।
अब भले ही आदर्श बाबू का लेखन भले कितना भी बढ़िया हो, उनकी प्रस्तुति पर भले ही तालियों से सभा गूँज उठती हो परन्तु शिल्ड और शाॅल अक्सर होशियार बाबू के ही पाले में आता।
छुपाते – छुपाते आखिरकार आदर्श बाबू के भी
दिल का दर्द होशियार बाबू के सामने आ ही गया। अब होशियार बाबू थे तो आदर्श बाबू के मित्र ही सो आदर्श बाबू को भी कई साहित्यिक संस्थाओं से जोड़ने लगे ।
अब आदर्श बाबू भी सहयोग राशि के नाम पर संस्थाओं में दान पुण्य का कार्य करने लगे। फलस्वरूप होशियार बाबू का कद और भी बढ़ने लगा और आदर्श बाबू को भी सम्मान के लिए आमन्त्रण पत्र आने लगे।
अब भाई सम्मान किसको नहीं अच्छा लगता है सो आदर्श बाबू भी तैयार वैयार होकर सम्मान लेने पहुंचे। गेट पर ही पोस्टर में अपना नाम देखकर फूले नहीं समा रहे थे। सभागार में सम्मानित होने वालों विद्वानों की पहली पंक्ति में विजयी मुद्रा में आज आदर्श बाबू भी बैठे। अपना नाम अनाउंस होने पर नामचीन व्यक्ति के हाथो से सम्मान पत्र और शाॅल ग्रहण करते हुए आदर्श बाबू फोटो खिंचवा रहे थे और
होशियार बाबू आदर्श बाबू के आदर्श का धर्म परिवर्तन होशियारी में कराकर विजयी मुद्रा में मन्द – मन्द मुस्कुरा रहे थे।
होशियार बाबुओं की दाढ़ी का तिनका दिख ना जाए…
इसीलिए इसपर.कुछ कहने कोई सामने नहीं आये…!
आदर्श बाबुओं की नींद वेपरवाही की
कौन जगाये!
एक सेक्सपियर लिखित रद्दी कागज सामने तो आये…
कितने होंगे जिनके शिलालेख कभी नजर नहीं आये…!
छल छद्म के पीछे छले जाने जब तक छटपपटाता रहेगा विश्व….
गधों की सत्ता होगी और मालगाड़ी में जुतते रहेंगे अश्व!
-सत्यार्चन
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