लिखी जो भी गज़ल मैंने वो मेरे प्रेम का खत है।
खुदा उनको समझ मैंने किया उनकी इबादत है।
पढ़ेंगे वे भी मुझको जब समझ आयेगा उनको तब ।
कि मैं उनकी मुहब्बत हूँ वे ही मेरे मुहब्बत है।।
लिखी जो भी गज़ल मैंने वो मेरे प्रेम का खत है।
खुदा उनको समझ मैंने किया उनकी इबादत है।
पढ़ेंगे वे भी मुझको जब समझ आयेगा उनको तब ।
कि मैं उनकी मुहब्बत हूँ वे ही मेरे मुहब्बत है।।
वाह!!👌👌
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धन्यवाद
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अच्छी है…!
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धन्यवाद
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बहुत बढ़िया
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लयबद्धता देखिये
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1262244613932592&id=100004411950628
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शानदार ! रिब्लाॅग कर प्रोमोट भी किया है हमारे ब्लाॅग पर ….
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सादर आभार।
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