कहने को तो हैं यहाँ, मित्रों मित्र हजार।
किन्तु परखने पर मिले , गिने चुने दो चार।।
गिने चुने दो चार , चले हैं साथ सफर में ।
अब तक की अनुभूति, हमारी रही डगर में।
मति पर देकर जोर , किरण समझा अपने को।
रिश्ते नाते दार , हजारों हैं कहने को।।
मन भाये जिसकी अदा , सुन्दर लगे चरित्र |
सुख – दुख में हो साथ जो ,उसको कहते मित्र |
उसको कहते मित्र , तुम्हें जो मन से माने |
उर के हर हालात , बिना बोले ही जाने |
किरण करे हर बात , तुम्हें समझे समझाये |
वही तुम्हारा मित्र , अदा जिसकी मन भाये ||