बंधु बहन के नेह को , और करे मजबूत ।
रेशम की हों डोरियाँ ,या फिर कच्चा सूत।।
खुशियों का अक्षत लिये , नेह रेशमी डोर।
देख बन्धु को हो गईं , बहनें भाव विभोर ।।
इन्द्रधनुषी रंग से, किरण सजाई थाल ।
रोली लेकर प्यार का , तिलक लगाई भाल ।।
धागा है विश्वास का, बंधन है मजबूत।
आशाओं की दीपिका ,देती किरण सबूत।।
बांध रही हूँ सूत्र यह , लेकर मन में आस।
जुड़ा रहे बंधन सदा, बना रहे विश्वास।।
रंग खून का है अमिट, ईश न जाये छूट।
नाजुक रेशम डोर की , बंधन रहे अटूट।।
आपको भी रक्षाबंधन शुभ हो !
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