जय श्री कृष्ण

होती है किस्मत किरण, तेज किसी की मन्द।
जनी कृष्ण को देवकी , यशुदा घर आनन्द।।

मीरा ने पूजा जिन्हें, राधा ने की प्रीत।
भाग्यवती थीं रुक्मिणी, मिले श्याम मनमीत।।

कंश वंश फैला रहें , पुनः यहाँ पर राज।
इसी लिए हम दे रहें , कृष्ण तुम्हें आवाज़।।

फन फैलाया फिर यहाँ, देखो काली नाग।
डर के मारे लोग अब , जायें कहीं न भाग।।

दुशासन हरने लगा, अबलाओं की चीर।
लाज बचाओ कृष्ण अब ,समझो उनकी पीर।।

चीख रही है द्रौपदी, सुन लो करुण पुकार।
अब तो आ जाओ किशन , लेकर नव अवतार ।।

हुआ अगर फिर युद्ध तो, अर्जुन की है चाह ।
बन कर फिर से सारथी, कृष्ण दिखाना राह ।।

हर आँगन आबाद हो, हो सुरभित हर द्वार।
घर – घर में आनन्द हो, सुखी रहे संसार।।

यशुदा सी माता मिलें, बाबा नन्द समान।
हर बालक कान्हा बने, यही किरण अरमान ।।

3 विचार “जय श्री कृष्ण&rdquo पर;

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