बिगड़ैल अमीरजादे के खिलाफ़ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस के इंकार के बाद पीड़िता रेखा महिला आयोग प्रमुख महेश्वरी देवी से मिली। उनसे मिलने के बाद रेखा के मन में उम्मीद की किरणें जग गईं ।
क्योंकि आयोग प्रमुख महेश्वरी देवी ने पूरे मनोयोग से रेखा की दुखद कहानी को सुनने के बाद उसको न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।
उस समय महेश्वरी देवी रेखा को देवी की प्रतिमूर्ति सी प्रतीत हो रही थीं । रेखा पूरे यकीन के साथ उन्हें दस्तावेज की फाइल पकड़ा दी । फाइल पढ़ते हुए जैसे ही महेश्वरी देवी की नज़र उस अमीरजादे की तस्वीर पर पड़ी तो उन्होंने फाइल के कागजात तथा तस्वीर को अपने पर्स में रखते हुए रेखा को अपना विजिटिंग कार्ड पकड़ाते हुए अपने घर पर मिलने के लिए बुलाया। तब रेखा का मन उनके लिए और भी श्रद्धा से भर गया।
रेखा महेश्वरी देवी के घर पहुँची। महेश्वरी देवी उसे अपने ड्राइंग रूम में बैठाकर बाइज्जत चाय नाश्ता कराने लगीं। रेखा का हाथ महेश्वरी देवी के चरणों की तरफ अनायास ही बढ़ गया। महेश्वरी देवी उसे उठाकर एक नोटों से भरा हुआ लिफाफा पकड़ाते हुए बोलीं जिसकी शिकायत करने आई हो न वह मेरा बेटा है अब मेरी लाज तुम्हारे हाथों में है।
महेश्वरी देवी के सशक्त स्वरूप को याचक के रूप में परिवर्तित होकर गुहार लगाते देखकर रेखा किंकर्तव्यविमूढ़ होकर उन्हें ताकती रह गई। उसके कंपकंपाते हाथों से लिफाफा गिर गया और आँखें भीग गईं।
उफ !!! इस समाज में ऐसा भी होता है ……..
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