बाँधकर घुंघरू को पग में
चूर होकर अपने मद में।
मटक, मटक लचक, लचक
भावों में विचर रही है
मौत नर्तन कर रही है
है चढ़ाये त्योरियाँ वह
नयनो से ही दे रही कह
नर्तकी परिपक्वता से
रूप नव – नव धर रही है
मौत नर्तन कर रही है
बाँधकर अद्भुत शमा वह
दिखलाती अपनी कला वह
सम्मोहित कर जादूगरनी
नित्य ही सँवर रही है
मौत नर्तन कर रही है
खींचती है पास अपने
आँखें देखतीं हैं सपने
थिरक – थिरक संग उसके
जिंदगी सिहर रही है
मौत नर्तन कर रही है
So Cute… and vulnerable
बाँधकर अद्भुत शमा वह
दिखलाती अपनी कला वह
सम्मोहित कर जादूगरनी
नित्य ही सँवर रही है
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Thanks 😊
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