सखियों संग खेलूंगी मैं होली
सखियों संग
सन सन सनन सन बहे पुरवाई
अंग – अंग लिये अंगड़ाई
फाग उड़ाये गुलाल रोली
सखियों संग………………….
कुहुक – कुहुक कोयलिया गाये
सुनके मेरा दिल भी बहक – बहक जाये
लेके आओ न मेरे सजन डोली
सखियों संग……………………
सात रंग की लूंगी चुनरिया
उस पर बनाऊँगी सुन्दर लहरिया
चाहे कितना भी बोले बलम बोली
सखियों संग……………………
फूलों से लाली उधार ले लूंगी
नयनों से कजरा की धार ले लूंगी
कोरे मन पर बनाऊँगी रंगोली
सखियों संग………………….
प्रीत रंग भरी पिचकारी
अबकी पड़ूंगी सभी पर मैं भारी
घोल भावना भंग गोली
सखियों संग……………………
शब्दों को जोड़ – तोड़ गीत लिख दूंगी
रंगों को छिड़क – छिड़क प्रीत लिख दूंगी
ऐसी – वैसी नहीं हूँ मैं अलबेली
सखियों संग ………………….

बहुत सुंदर
मेरे iPad से प्रेषित
> 28 मार्च 2021 को पू 7:34 पर ज्योति कलश ने लिखा :
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