गिर रहा आँखों से पानी इन दिनों
गिर रहा आँखों से पानी इन दिनों
जिंदगी ने जंग ठानी इन दिनों।
अब डराती हैं हमें नजदीकियाँ,
लाजिमी दूरी बनानी इन दिनों।
बन्द हो अब जिस्म की सौदागिरी,
इश्क ही लगता रुहानी इन दिनों।
नाचती घुंघरू को पग में बांधकर,
मौत होकर के दिवानी इन दिनों।
आदतें जो भी बुरी हों छोड़िये,
है सिसकती जिंदगानी इन दिनों।
कर ‘किरण’ घर में ही तू चिंतन मनन,
लिख दे फिर कोई कहानी इन दिनों।।

बहुत खूब लिखा है 👌🏼👌🏼
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बहुत शुक्रिया
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khubsurat rachna.
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हार्दिक आभार
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हार्दिक आभार
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Swagat apka.
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