
बाढ़ आँखों की सपने बहा ले गई।
दर्द देकर हमें हर दवा ले गई।
रूह घायल पड़ी माँ की खूँ से सनी ,
मौत गठरी दुआ की उठा ले गई।
लाख पहरा बिठाये रखी जिंदगी,
चोरनी आके सांसे चुरा ले गई।
रात काली थी तो सो गई जिंदगी,
नींद सांसों की लड़ियाँ छुड़ा ले गई।
जाने किसकी लगी है नज़र जिंदगी ,
आज हमको कहाँ से कहाँ ले गई।
सुन सकी आंधियों की न आहट किरण,
आशियां मेरी आके उड़ा ले गई।