सुहानी भोर

लगीं संवरने रश्मियाँ, हुई सुहानी भोर।

खिली – खिली सी दामिनी , आई लिये अंजोर ।

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शीघ्र उगो तुम चन्द्रमा

शीघ्र उगो तुम चन्द्रमा, आज करो मत रार |
दूंगी मैं तुमको अरघ, कर सोलह श्रृंगार |

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दूल्हा माँगे वोट

बाराती सज – धज चले , दूल्हे हैं बेहाल ।
दूल्हन कुर्सी हाथ में , लिये खड़ी वरमाल।

लिये खड़ी वरमाल, सोचती अपने मन में।
किसकी होगी जीत, स्वयंवर के इस क्षण में।

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