
दिल के पन्ने पलटती रही धीरे-धीरे,
जिंदगी को समझती रही धीरे-धीरे।
जो थे खरगोश वे राहों में सो गये।
मैं तो कछुए सी चलती रही धीरे-धीरे।
ख्वाब जिंदा रहें इसलिए आँखों में ,।
प्यार की नींद भरती रही धीरे-धीरे।
जिंदगी है बड़ी लाडली सुन्दरी,
पगली मैं उसपे मरती रही धीरे-धीरे ।
खुशी की घुंघरू बांधकर पाँवों में ,
जिंदगी फिर थिरकती रही धीरे-धीरे ।