अठखेलियाँ करे चूड़ियाँ,
खनन खनके कर कंगन |
द्वार ताकती बार बार,
बाजे पायलिया छनन छन |
श्रेणी: छन्द
एक दूसरे को देखकर
एक दूसरे को देखकर हैं दोनो ही मगन |
दूर दूर रहकर जाने कैसे लग गई लगन |
हो ठिठुरती सर्दियाँ चाहे जलाती हो तपन |
स्विकृत किया धरा ने जो खुशी से दे दिया गगन ||