आक्रोशित हैं बेटियाँ, माताएँ भयभीत।
आग बबूला लेखनी , लिखे कौन सा गीत।।
श्रेणी: दोहे
बाढ़
रोये हो किस बात पर, कहो गगन इस बार?
क्यों अँसुअन में डूबकर, धरती करे गुहार??
पानी – पानी तंत्र है , डूबा राज्य बिहार ।
देखो पानी ने किरण , पानी दिया उतार।।
जय माँ
ईशाना , सत्या , शिवा , नित्या दुर्गा नाम |
सर्व मंगला अम्बिका,शत् शत् तुम्हें प्रणाम ||
वाम हस्त शोभित कमल , दाएँ हाथ त्रिशूल |
शैलपुत्री वृष वाहिनी , क्षमा करो माँ भूल ||
हिन्दी
जननी है संस्कृत स्वयं, उर्दू अनुजा मान ।
देवनागरी लिपि किरण , हिन्दी की पहचान ।।
जय श्री कृष्ण
होती है किस्मत किरण, तेज किसी की मन्द।
जनी कृष्ण को देवकी , यशुदा घर आनन्द।।
बंधन रहे अटूट
बंधु बहन के नेह को , और करे मजबूत ।
रेशम की हों डोरियाँ ,या फिर कच्चा सूत।।
पर्यावरण
धुआँ – धुआँ वातावरण , दूषित हुआ समीर ।
धरती के उर में उठी , हल्की – हल्की पीर ।।
माँ
संस्कार तुमने दिया, दिया नया आयाम।
माँ तुम हो सर्वोपरी, शत् शत् तुम्हें प्रणाम।।
माँ तेरा आँचल लगे, सुंदरतम् संसार।
तू ही मेरी गुरु प्रथम, तू ही पहला प्यार।
तुम्ही प्रेम पूजा तुम्हीं
प्रेम देत दस्तक प्रिये , खोलो दिल के द्वार |
छोटी सी है जिंदगी , कर लो थोड़ा प्यार ||
पिया तुम्हारे प्रेम में , गई स्वयं को भूल |
अब पथ में चिन्ता नहीं , मिले फूल या शूल ||
चुटकी भर सिंदूर से
चुटकी भर सिंदूर से , गयी स्वयं को हार |
इतराई सौभाग्य पर , कर सोलह श्रृंगार ||
चूड़ी कंगन हथकड़ी , पायल बेड़ी पाँव |
बंधन मंगल सूत्र का , नाक नथनिया ठाँव ||
बिंदी है मन मोहिनी , जादूगर सिंदूर |
संग सात फेरे लिये , कैसे होगे दूर ||