आक्रोश

आक्रोशित हैं बेटियाँ, माताएँ भयभीत।
आग बबूला लेखनी , लिखे कौन सा गीत।।

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बाढ़

रोये हो किस बात पर, कहो गगन इस बार?
क्यों अँसुअन में डूबकर, धरती करे गुहार??

पानी – पानी तंत्र है , डूबा राज्य बिहार ।
देखो पानी ने किरण , पानी दिया उतार।।

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जय माँ


ईशाना , सत्या , शिवा , नित्या दुर्गा नाम |
सर्व मंगला अम्बिका,शत् शत् तुम्हें प्रणाम ||
वाम हस्त शोभित कमल , दाएँ हाथ त्रिशूल |
शैलपुत्री वृष वाहिनी , क्षमा करो माँ भूल ||

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माँ

संस्कार तुमने दिया, दिया नया आयाम।
माँ तुम हो सर्वोपरी, शत् शत् तुम्हें प्रणाम।।

माँ तेरा आँचल लगे, सुंदरतम् संसार।
तू ही मेरी गुरु प्रथम, तू ही पहला प्यार।

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तुम्ही प्रेम पूजा तुम्हीं

प्रेम देत दस्तक प्रिये , खोलो दिल के द्वार |
छोटी सी है जिंदगी , कर लो थोड़ा प्यार ||

पिया तुम्हारे प्रेम में , गई स्वयं को भूल |
अब पथ में चिन्ता नहीं , मिले फूल या शूल ||

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चुटकी भर सिंदूर से

चुटकी भर सिंदूर से , गयी स्वयं को हार |
इतराई सौभाग्य पर , कर सोलह श्रृंगार ||

चूड़ी कंगन हथकड़ी , पायल बेड़ी पाँव |
बंधन मंगल सूत्र का , नाक नथनिया ठाँव ||

बिंदी है मन मोहिनी , जादूगर सिंदूर |
संग सात फेरे लिये , कैसे होगे दूर ||

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