चंचला मति में माता

चंचला मति में माता
साधना भरो
भेद कर तमस मनः को ।
ज्योतिर्मय करो

ईर्ष्या द्वेष जैसे शत्रुओं
को मार दो
प्रेम भाव भर हृदय में
हमको तार दो
छल कपट मिटा दो मन का
कष्ट हर हरो
भेद कर तमस मनः को……
ज्योतिर्मय करो 
चंचला मति में माता
साधना….

शब्द शब्द हों हमारे 
दीप की तरह
भावना भी हो हमारी
सीप की तरह
वर्णों को आदेश दो कि
मोती बन झरो
भेद कर तमस मन को
ज्योतिर्मय करो
चंचला मति में माता
साधना….

वीणा की तरह हो झंकृत
एक एक स्वर
कृपा करो माँ शारदे
हमें ये दे दो वर
कंठ के हमारे माता
सुर मधुर करो
भेद कर तमस मन को
ज्योतिर्मय करो
चंचला मति में मैया
साधना….

लेखनी निडर प्रखर हो
उक्ति ऐसी दो
जीवन डगर सरल बनाए
सूक्ति वैसी दो
कहो हमें बढ़े चलो
किसी से न डरो
भेद कर तमस मन को.
ज्योतिर्मय करो 
चंचला मति में माता
साधना….

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प्रार्थना

सितारा टांककर श्रद्धा से मैं चुनरी सजाई हूँ |
सुमन ले भावनाओं का पिरो माला बनाई हूँ |

पखारे पाँव मेरे अश्रु, तुम्हें मैं क्या करूँ अर्पण ,
दयामयि माँ तुम्हारे दर, मैं खाली हाथ आई हूँ |

मेरी मति चंचला है और , विकारों से भरा है मन |

भरो अब साधना मुझमे , तेरी मूर्खा मैं जाई हूँ |

निमन्त्रण देने आई हूँ, मेरे घर भी पधारो माँ ,
मैं आँगन लीप कर रंगों से रंगोली बनाई हूँ |

कहा मैंने हमेशा सच लिखा मैंने हमेशा सच।
सभी सच भावनाओं को, ग़ज़ल में गूंथ लाई हूँ।

जो मेरे मन में आया है , वही मैंने लिखा है माँ ,
भले हूँ बेसुरी मैं पर , हमेशा तुमको गाई हूँ ||

दया मुझ पर भी कर के माँ , बना लो सेविका अपनी ,
शरण में ले लो मुझको आसरा तुमसे लगाई हूँ |

मन है चंचल भर दे साधना

मन है चंचल हमारा भरो साधना।
जोड़ कर कर रहे हम सभी प्रार्थना ।

माता दुख हारिणी , माता सुख दायिनी ,
दो हमें उक्ति की दूर हो वेदना।
मन है……………………………

कंठ में दे दो स्वर, माँ हमें दे दो वर,
मूर्खा मति में जगा दो माता चेतना।
मन है……………………………

चल रही लेखनी हो निडर हो प्रखर,
रुक न जाये कहीं पर ज़रा देखना ।
मन है……………………………

दूर तम हम करें ज्ञान के दीप से,
किस तरह माँ हमें भी बता भेद ना।
मन है……………………………

करते हैं हम सभी आपकी वंदना,
पूर्ण कर दो सभी की सही कामना।
मन है……………………………

चलो माँ का श्रृंगार करें

श्रद्धा सुमन हृदय से चुनकर

गूंथ माँ को अर्पित पुष्प हार करें

चलो माँ का श्रृंगार करें

टांक सितारा चुनरी लाई हूँ

पढ़ना जारी रखें “चलो माँ का श्रृंगार करें”

हमको ऐसा दो वरदान

हे भगवान्, हे भगवान
हमको ऐसा दो वरदान

मति को मेरे उक्ति दे दो
मन की मुझको शक्ति दे दो
हारे अन्तः का शैतान
हमको ऐसा………………..

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दया करो माँ

दया करो माँ अम्बे भवानी

बुद्धि का पट खोल दो माँ
वर अपना अनमोल दो माँ
आत्मबोध करवा दो माँ
कि मैं मुर्खा बन जाऊँ सयानी
दया करो माँ………………….

पढ़ना जारी रखें “दया करो माँ”

भोले बाबा करो कल्याण

भोले बाबा हमें दो वरदान
तुम्हारे दर आये हैं
भोली भक्तिन का रख लो मान
तुम्हारे दर आये हैं

पढ़ना जारी रखें “भोले बाबा करो कल्याण”