चंचला मति में माता
साधना भरो
भेद कर तमस मनः को ।
ज्योतिर्मय करो
ईर्ष्या द्वेष जैसे शत्रुओं
को मार दो
प्रेम भाव भर हृदय में
हमको तार दो
छल कपट मिटा दो मन का
कष्ट हर हरो
भेद कर तमस मनः को……
ज्योतिर्मय करो
चंचला मति में माता
साधना….
शब्द शब्द हों हमारे
दीप की तरह
भावना भी हो हमारी
सीप की तरह
वर्णों को आदेश दो कि
मोती बन झरो
भेद कर तमस मन को
ज्योतिर्मय करो
चंचला मति में माता
साधना….
वीणा की तरह हो झंकृत
एक एक स्वर
कृपा करो माँ शारदे
हमें ये दे दो वर
कंठ के हमारे माता
सुर मधुर करो
भेद कर तमस मन को
ज्योतिर्मय करो
चंचला मति में मैया
साधना….
लेखनी निडर प्रखर हो
उक्ति ऐसी दो
जीवन डगर सरल बनाए
सूक्ति वैसी दो
कहो हमें बढ़े चलो
किसी से न डरो
भेद कर तमस मन को.
ज्योतिर्मय करो
चंचला मति में माता
साधना….
