छेड़ती हूँ सरगम अप्रैल 8, 2018जून 15, 2018 को Kiran Singh द्वारामुक्तक में छेड़ती हूँ जब भी मैं सरगम | तार मेरी वीणा के हरदम | तुझ में आरोह , अवरोह , पकड़ , और झंकृत हो जाते हैं हम || इसे शेयर करे:TwitterFacebookLike this:पसंद करें लोड हो रहा है...