फुर्सत के क्षण मन अतीत में विचरण करता है
भागता सा शहरी जीवन
छूटता ग्रामीण ..उपवन
वो सहजता वो सरलता
गावों का चित्रण करता है
फुर्सत के क्षण मन अतीत में विचरण करता है
आँखों में वो स्नेह अब कहाँ
अपनापन वो स्पर्श में. कहाँ
निश्छल सा वो स्नेह सरल
मन शीतल करता है
फुर्सत के क्षण मन अतीत में विचरण करता है
दादी की परियों की कहानी
नानी जो रामायण गाती
मधुर मधुर स्वर लहरी
कर्णों में गुंजन करता है
फुर्सत के क्षण मन अतीत में विचरण करता है
गुड्डे गुड़ियों संग खेलना
दियों की तराजू में तोलना
मिट्टी के वे सभी खिलौने
आज भी मन चंचल करता है
फुर्सत के क्षण मन अतीत में विचरण करता है
फुर्सत के ………………
बचपन यानी जिंदगी का सबसे खूबसूरत समय , मन लौट लौट कर वहाँ जाता है और पुलकित होता है … बचपन में पहुँचाने के लिए शुक्रिया किरण जी … बहुत सुंदर रचना
पसंद करेंपसंद करें
बहुत बहुत धन्यवाद वंदना जी
पसंद करेंपसंद करें