आज फिर से मन मेरा भीग जाना चाहता है
तोड़ कर उम्र का बन्धन
सावन का करें अभिनंदन
गीत गा बरखा के संग – संग
नृत्य करना चाहता है
आज फिर से मन मेरा………………….
छलके नभ से मधुरस की गगरी
भीगे गाँव अरु झूमे नगरी
मेरा मन भी न जाने क्यों
झूम जाना चाहता है
आज फिर से…………………………..
संग चलो पगडंडियों पर
आज कुछ मन की करें
सज संवर कर आज फिर दिल
फिसल जाना चाहता है
आज फिर से मन मेरा…………….
सपनों का झूला लगाकर
प्रीत की डोरी बनाकर
संग सखी के सुर मिला मन
कजरी गाना चाहता है
आज फिर से मन मेरा……………..
behtreen post..👌👍
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शुक्रिया
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आभार।।😊
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चल सखी तेरे साथ मैं भी इस सावन में भींग चलती हूँ
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चल 😊
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