हे श्याम सलोने आओ जी
अब तो तुम दरस दिखाओ जी
आओ मधु वन में मुरलीधर
प्रीत की बंशी बजाओ जी
चीख रही है द्रौपदी फिर से
अस्मत चीर बचाओ जी
अज्ञानी हम सब मूरख हैं
गीता का पाठ पढ़ाओ जी
राग द्वेष से मुक्त करो हमें
अपना रूप दिखाओ जी
जन्म ले लिये कृष्ण मुरारी
सखियाँ सोहर गाओ जी
जन्म ले लिये कृष्ण मुरारी
सखियाँ सोहर गाओ जी….. बाल गोपाल कन्हैया की भक्ति से परिपूर्ण सुंदर रचना
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धन्यवाद वंदना जी
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बहुत ही सुंदर रचना है कि२नजी
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