शिघ्र उगो तुम चन्द्रमा, आज करो मत रार |
दूंगी मैं तुमको अरघ, कर सोलह श्रृंगार |
कर सोलह श्रृंगार, हाथ में लिये चलनिया |
देखेगी फिर चाँद, चाँदनी बनी सजनिया |
कहे किरण हे चाँद , कहाँ तुम आज हुए गुम |
बात हठी की मान , गगन में शिघ्र उगो तुम ||
शिघ्र उगो तुम चन्द्रमा, आज करो मत रार |
दूंगी मैं तुमको अरघ, कर सोलह श्रृंगार |
कर सोलह श्रृंगार, हाथ में लिये चलनिया |
देखेगी फिर चाँद, चाँदनी बनी सजनिया |
कहे किरण हे चाँद , कहाँ तुम आज हुए गुम |
बात हठी की मान , गगन में शिघ्र उगो तुम ||
Nice ji ek baat puch na ha ki log bdl kio jaty ha
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क्योंकि परिवर्तन ही जीवन का आधार है!
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पर मैं कियो नहीं अपने आप को बदल पता
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बहुत सही और सटीक जवाब 👌बस समझ का अंतर है कोई इसे स्वीकार करता है और कोई नही।
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बहुत बहुत धन्यवाद आपको 😊
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