वर्तिका बन मैं जलती रही हूँ |
जग , जग – मग मैं करती रही हूँ |
हो न जाये कहीं भी अंधेरा |
इसलिये ही तो डरती रही हूँ |
कांटे छलनी किये पाँव को पर |
संग तेरे मैं चलती रही हूँ |
कभी चूनर बनी इज्जत की |
उड़ – उड़ कर सम्हलती रही हूँ |
प्रेम में डूबकर प्रेम तुमसे |
मन ही मन में मैं करती रही हूँ |
सुनो सूरज मैं तेरी किरण हूँ |
तुझ पर जी – जी कर मरती रही हूँ |
सुन्दर भाव👍🏻👍🏻
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बहुत सुंदर
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bahut hi sundar hai. Thank You! 🙂
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