मन है चंचल हमारा भरो साधना।
जोड़ कर कर रहे हम सभी प्रार्थना ।
माता दुख हारिणी , माता सुख दायिनी ,
दो हमें उक्ति की दूर हो वेदना।
मन है……………………………
कंठ में दे दो स्वर, माँ हमें दे दो वर,
मूर्खा मति में जगा दो माता चेतना।
मन है……………………………
चल रही लेखनी हो निडर हो प्रखर,
रुक न जाये कहीं पर ज़रा देखना ।
मन है……………………………
दूर तम हम करें ज्ञान के दीप से,
किस तरह माँ हमें भी बता भेद ना।
मन है……………………………
करते हैं हम सभी आपकी वंदना,
पूर्ण कर दो सभी की सही कामना।
मन है……………………………