तर जायेगा ये तन राम नाम जप मन ।
राम – राम लिख – लिख राम गुन गाओ जी ।।
तज ठाट बाट मेरा जिया जोहे बाट।
होके राममय तुम रमण कराओ जी।।
करो राम जी से प्रीत उमर न जाये बीत।
राम जी को सुन- सुन गुन अपनाओ जी।।
मानो नहीं मन हार, राम जी ही देंगे तार।
राम का प्रसंग जन – जन को सुनाओ जी।।
©किरण सिंह
जयश्रीराम
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