हुई आँखों से उनकी नेह की अक्सर ही बरसातें।
पहेली की तरह लगतीं मुझे उनकी सभी बातें।
जिरह दिल में ही दिल से कर मैं सुलझाती रही हरदम,
समझने में ही बीते दिन मेरी बीती कई रातें।।
हुई आँखों से उनकी नेह की अक्सर ही बरसातें।
पहेली की तरह लगतीं मुझे उनकी सभी बातें।
जिरह दिल में ही दिल से कर मैं सुलझाती रही हरदम,
समझने में ही बीते दिन मेरी बीती कई रातें।।