रोये हो किस बात पर, कहो गगन इस बार?
क्यों अँसुअन में डूबकर, धरती करे गुहार??
पानी – पानी तंत्र है , डूबा राज्य बिहार ।
देखो पानी ने किरण , पानी दिया उतार।।
जल का देखो जलजला , डूब गया बाजार ।
सड़क लगे सरिता जहाँ , तैरे मोटरकार।।
पानी – पानी हर तरफ़, फैल गया भगवान।
पर पानी की बूंद को , तरस रहा इंसान।।
उफनाई नदियाँ यहाँ , है तबाह इन्सान ।
भरपाई हो किस तरह, कहो किरण नुकसान।।
जीव जन्तु बेहाल हैं, मुश्किल में इंसान।
आफत में अब पड़ गई, बड़े बड़ों की जान।।
पीतल चमके कब तलक,ओढ़ स्वर्ण का खोल।
आखिर पानी ने दिया , पोल तंत्र का खोल।।
भीग गया धन अन्न जन, सूख गये अरमान।
इन्द्र देव समझो ज़रा , सोचो हे भगवान।।
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