क्या पिलाया आपने की ,हैं नशे में चूर हम।
फर्क अब पड़ता नहीं क्यों , पास हैं की दूर हम।
लग रही थी जिंदगी, मेरी अधूरी सी मगर।
मिल गये हैं आप तो, फिर हो गये पुरनूर हम।
कर जो दी तारीफ़ मेरी, आपने कुछ इस तरह।
हो गये हैं धीरे-धीरे, खुद ब खुद मगरूर हम।
आपकी आँखों में ही, कुछ बात है लगता हमें ।
देखकर होता है जिसमें, नाज़ की हैं हूर हम।
जिंदगी की इस कड़ी में, हो गई शामिल किरण।
देखते हैं इस सफ़र में , जाते कितनी दूर हम ।।

👌👌
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