राम कथामृतम”
बाल साहित्य में सुंदर हस्तक्षेप-
महिमा श्री
(Mahima.rani@gmail.com)
राम भारत के जननायक है। भारतीय संस्कृति के युग पुरुष राम लोक में बसे हैं। संयम, विवेक, मर्यादा और आर्दश के प्रतीक हैं राम । मिथकीय चरित्र कह के राम के अस्तित्व को झुठला नहीं सकते।लोक ने सदियों से अपने हृदय में राम को बसा कर रखा है। राम की दृष्टि में हर वर्ग का व्यक्ति महत्वपूर्ण हैं। निषादराज, सुग्रीव, शबरी, अहिल्या, जटायु जिसने भी हाथ बढ़ाया उसे अपने हृदय से लगाया। प्रजावत्सल राम ने जीवन को मर्यादित करने का मार्ग दिखाया।वाल्मिकी रामायण के बाद तुलसीदास ने रामचरित मानस रचा और अमर हो गये।कितनी ही भाषाओं में रामायण लिखी गई। कई अतिश्योक्तियाँ और किवंदतियां भी जुड़ती गई। राम को लेकर विवाद भी गहराये। किंतु रघुपति राजा राम के लिए प्रेम लोकमानस में कम न हुआ।कहते हैं मरा मरा भी कहनेवाला एक दिन राममय हो जाता है और राम राम करने लगता है। राम का जीवन समाज को दिशा देने मे सक्षम है।
रामानंद सागर की टीम ने 1987 में रामायण धारावाहिक जब दूरदर्शन पर प्रसारित किया तो हर वर्ग की छोड़िए हर समुदाय के लोगों ने कितनी श्रद्धा के साथ उसे देखा वह दूरदर्शन के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया।
अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दौरान फिर से रामायण का प्रसारण हुआ और फिर वही हुआ लोक ने फिर से अपने राम को छोटे पर्दे पर जी भर के देखा। एनिमेटेड गेम और सोशल मीडिया पर बीजी नई पीढी को भी राम से सही मायने में भेंट हुई। इसी भयावह कोरोनाकाल में कवीयत्री किरण सिंह ने वरिष्ठ साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद दिवेदी जी की प्रेरणा से बाल साहित्य लेखन को प्रतिबद्ध हुई। और बच्चों के लिए लोक नायक राम की कथा श्रीराम कथामृतम लिख डाला है।
वे कहती है किसी असीम शक्ति ने उनसे लिखवा लिया। सहज भाषा और सरल छंद में रची-बसी राम कथा बच्चों को बहुत पसंद आने वाली है। राम का बाल चरित्र हो या युवा काल का वे नैतिक मूल्यों को सहजता से पोषित करने में सहायक है। आज जब यूटयूब और अन्य साइटों पर आसानी से एक क्लिक पर अनैतिक साम्रगी उपल्ब्ध है।जब मानसिक रोग जैसे अवसाद, गुस्सा, अनैतिक इच्छाएं , आत्महत्या आदि का शिकार बचपन हो रहा है। वैसे में राम और कृष्ण का बाल चरित्र नैतिक मूल्य यथा आदर, आत्मसम्मान, संयम, विवेक, मित्रता आदि पढ़ाकर समझाया और सिखाया जा सकता है। और हमें विश्वास है लेखिका किरण सिंह की श्रीराम कथामृतम इस कार्य को बखूबी करने वाला है।
पुस्तक में कुल सोलह खंडो में कथा को पिरोया गया है।श्री राम कथामृतम चुकिं बच्चों के लिए लिखा गया है उनकी तरह ही इसकी भाषा सरल और जल की तरह तरलता और बहाव है।बच्चे इसे एक सांस में पढ़ते जानेवाले हैं।राम चरित्र की बोधगम्यता बच्चों में पाठ के दौरान ही महसूस होने लगेगी। पुस्तक में ऐसे किसी भी क्लिष्ट हिंदी शब्द का प्रयोग नहीं मिलता जो बच्चों को समझने और पढ़ने में रुकावट पैदा करे। कवयीत्री ने बच्चों को ध्यान में रखकर लिखा है और उसमें सफल हुई हैं।
शब्दों की सरलता बाल खंड में ही दिख जाती है। कवीयत्री लिखती हैं-
चैत्रमास की नवमी तिथि को/ जन्म लिए थे राम/ कथा सुनाती हूँ मैं/ उनकी
जपकर उनका नाम
पुस्तक के हरेक खंड में राम के चारित्रिक गुण सहजता से परिलक्षित होते हैं।
एक बानगी देखिए-
बने राम निशाद गुरुकुल में / अच्छे सच्चे मित्र / उनदोनों का ही अपना था/ सुंदर सहज चरित्र।
कुछ पंक्तियों में ही राम का मित्रवत स्वभाव उपरोक्त पंक्तियों में आसानी से बच्चों को समझ आ जानेवाला है। ऐसी सरलता पूरी पुस्तक मिलती है।प्रसंगो के साथ नयनाभिराम चित्र भी पुस्तक का आकर्षण का केंद्र है जो बच्चों को बार-बार पन्ने पलटने के लिए उत्सुकता जगायेगा।
राम हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। उनका जीवन भारतीय परंपरा के संवाहिका के रुप में नई पीढ़ी को नैतिक मूल्यों से अवगत कराता है। राम आज्ञाकारी पुत्र, कुशाग्रबुद्धि शिष्य, सरल मित्र, प्रजावत्सल राजा, एक पत्नीव्रता पति, कुशल प्रशासक, न्यायप्रिय व्यक्ति हैं। यही गुण उनको लोक नायक बनाता है। श्री राम कथामृतम, राम के चारित्रिक गुणों को काव्य के सहारे छोटे बच्चों के समक्ष प्रेषित करने में सफल है। इसे सभी विद्यालयों के पुस्तकालयों में होना चाहिए। बच्चों के हाथों में पहूँचना चाहिए। यह पुस्तक बच्चों को पढ़ने में रुची जगाने वाली है। इसके लिए कवयित्री को असीम शुभकामनाएं।
लेखिका- किरण सिंह
पुस्तक- श्री राम कथामृतम
प्रकाशन-जानकी प्रकाशन
पुस्तक मुल्य-150 -/
पुस्तक 50 % डिस्काउंट पर अमेजन पर उपलब्ध है
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