रश्मि अनंत
आज जिस तरह से साहित्यिक संस्थाएँ नवोदित लेखकों को चुन – चुन कर समाज के सामने ला रही हैं वह निश्चित ही सराहनीय है। ऐसी ही एक एक संस्था है सोशल एन्ड मोटिवेशनल ट्रस्ट जो कि दिनोंदिन अनंत साहित्यिक गतिविधियों को विस्तार दे रही है।
यही विस्तार अनंत काव्य रश्मियों के माध्यम से साहित्य जगत को आलोकित करने के लिए एक पुस्तक में संकलित होकर अपनी तरफ़ आकृष्ट कर रहा है ।
वैसे तो इस पुस्तक का नाम रश्मि अनंत ही स्वयं को परिभाषित करने के लिए पर्याप्त है ऊपर से इसका आकर्षक कवर जिसपर परिंदे खुले आसमान में उड़ान भर रहे हैं एक सार्थक संदेश दे रहा है।
पुस्तक में कुल ३१० पृष्ठों में ३९ रचनाकारों की रचनाएँ संकलित हैं ।सभी रचनाओं को पढ़ने के पश्चात संग्रह के सम्पादक रविन्द्र नाथ सिंह जी के काव्य चयन व सम्पादन की प्रशंसा करनी होगी –
उदाहरण के लिए कुछ काव्य रचनाओं से परिचय कराने के क्रम में मैं संग्रह के सम्पादक मनीषी रविन्द्र नाथ सिंह जी की रचना सादगी से ही शुरुआत करती हूँ-
सादगी।
क्या रखा आडम्बरों में
सादगी अपनाइए।
है अगर रब़ पर भरोसा
मत कभी घबराइए
सादगी तन मन का गहना
खुदको इससे सजाइए।
बोलिए मत झूठ हर्गिज
जो भी हो मजबूरियाँ
झूठ से है भेद बढता
सच मिटाती दूरियाँ
तत्पश्चात सोशल एन्ड मोटिवेशनल ट्रस्ट की अध्यक्ष ममता सिंह जी की एक रचना कालीदास से –
कालीदास
कालीदास मूढ मानव थे
ऊँच नीच का ज्ञान नहीं
बैठे थे जिस डाल के उपर
काट रहे थे भान नहीं ।
कौन बताए मूर्ख प्राणी को
डाल जो ये कट जाएगा
गिर जाएगा शीघ्र धरा पर
साथ वह भी गिर जाएगा।
चूंकि आजकल सोशल मीडिया साहित्यकारों के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म है तो कवयित्री शेफालिका वर्मा के भावों को देखें –
फेसबुक
ये फेसबुक ना होता तो क्या होता
ये रातें ये दिन
गुलज़ार न हुआ करता
सूनेपन को झंकार न मिला होता
इतनी कविताओं का जन्म न हुआ रहता
जो मौन मूक किनारे पड़े रहे
उन्हें यूँ साहिल न मिला होता
मधुर वचन कितना जरूरी है कवि सी. के जैन जी के शब्दों में –
मन रे मधुर वचन तू बोल,
मधुर वचन का इस जग में कोई, लागे नाही मोल।
कडवी बात कभी बन आये, मौन को मन में धार,
बिन बोले नहीं काम बने तो, कटु वचनों को टार,
देखभाल कर, नाप तौल कर, मीठे वचन टटोल,
मन रे मधुर वचन तू बोल।
कडवा वचन व्यंग्य द्रोपदि का, कुपित किया दुर्योधन,
लज्जित करके भरी सभा में, बैर गांठ बांधी मन,
अग्नि उठी बदले की दिलों में, बजा युद्ध का ढोल,
मन रे मधुर वचन तू बोल।
श्रीमती आशा चौधरी जी प्रेम को परिभाषित करते हुए कहती हैं –
प्रेम है पूजा, प्रेम हकीकत, प्रेम जगत की कुंजी है।
यह उमंग है यह तरंग है, यह सुन्दर एहसास है।
भावना झा रूबी जी की पंक्तियाँ –
बदलती सम्बन्ध की तस्वीर।
दुनिया में वो व्याध है गम्भीर।
इस प्रकार इस पुस्तक में संकलित सभी रचनाएँ छन्मुक्त होते हुए भी पाठकों के मन को बांधने के प्रयास में लगभग सफल हैं। पुस्तक के पन्ने सामान्य हैं लेकिन छपाई स्पष्ट है अतः पुस्तक पठनीय है।
समीक्षक – किरण सिंह
पुस्तक का नाम – रश्मि अनंत
सम्पादक – रविन्द्र नाथ सिंह
मूल्य – रु ३९९ ( तीन सौ निन्यानबे)
पृष्ठ संख्या – ३१०